Poetry....

अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है
ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है

मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरहा हथेली पे जान थोड़ी है

हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है

जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है

सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है



आग जलनी चाहिए...- दुष्यन्त कुमार (Dushyant Kumar)
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हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।



jab zero diya mere bharat ne, duniya ko tab ginatee aayee
taaro kee bhasha bharat ne, duniya ko pahale sikhalayee
deta naa dashamal bharat toh, yu chaand pe jaana mushkil tha
dharatee aur chaand duree kaa, andaaja lagaana mushkil tha
sabhyata jaha pahale aayee, pahale janamee hain jaha pe kala

अब तो हमारे देश के नवजात बचे भी रोकर अम्मा अम्मा नही बल्कि अन्ना-अन्ना कर रहे है
अब तो हमारे देश के नवजात बचे भी रोकर अम्मा अम्मा नही बल्कि अन्ना-अन्ना कर रहे है
अब तो हमारे देश के नवजात बचे भी रोकर अम्मा अम्मा नही बल्कि अन्ना-अन्ना कर रहे है
अब तो हमारे देश के नवजात बचे भी रोकर अम्मा अम्मा नही बल्कि अन्ना-अन्ना कर रहे है

सदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी,
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है;
दो राह,समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।


अब भी जिसका खून ना खौला
खून नही वोह पानी है,
जो देश के काम ना आये,
बरबाद वोह जवानी है!

Zalimon apni qismat pe naaz na ho
daur badlega yehi waqt ki baat hai
wo yaqeenan sunega saddayen meri
tumhari Sonia hai to kya humara Anna nahi ?

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