आरम्भ है प्रचंड, बोले मस्तको के झुण्ड

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आरम्भ है प्रचंड, बोले मस्तको के झुण्ड
आज जंग की घडी की तुम क्या गुहार
आन बान शान हां की जान का हो दान
आज एक धनुष के बार्ण  पे उतार
आरम्भ है प्रचंड, बोले मस्तको  के झुण्ड
आज जंग की घडी की तुम गुहार..
आन बाण शान हां की जान का हो दान
आज एक धनुष के बार्ण पे उतार
आरम्भ  है प्रचंड

मन करे तो प्राण दे, जो मन करे तो प्राण ले
वाही एक सर्व शक्तिमान है
इश्वर पुकार है ये भागवत का सार है की
की युद्ध हाय वीर का प्रमाण है
कौरवो की हो हां पांडवो का नीर हो भीड़
जो लाड शक है वो महान है हाय
जीत की हवास नही, किसी पे कोई वश नही
क्या जिंदगी है ठोकरों पे मार
मौत अंत हाई मौत से भी क्यों हिम्मत नही है?
ये जाके आसमान में दहाड़
आरम्भ है प्रचंड, बोले मस्तको  के झुण्ड
आज जंग की घडी की तुम गुहार..
आन बाण  शान हां की जान का हो दान
आज एक धनुष के बार्ण पे उतार
आरम्भ  है प्रचंड ...

हो दया का भाव हां की शौर्य का चुनाव
हां हार का वो घाव तुम ये सोच लो की
हां की पूरे भाल भर जला रहे विजय का लाल
लाल ये गुलाल, तुम ये सोच लो
केसरी हो हां मृदंग केसरी हो हां की रंग
केसरी हो लाल तुम ये सोच लो ..

जिस कवि की कल्पना में जिंदगी हो प्रेम गीत
यूएसएस कवि को आज तुम नकार
भीगती नस्सो में आज, फूलती रगों में आज
आज आग की लापत  का तुम बघार
आरम्भ है प्रचंड, बोले मस्तको के झुण्ड
आज जंग की घडी  की तुम गुहार
आन बाण  शान हां की जान का हो दान
आज एक धनुष के बार्ण  पे उतार

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