पत्रकारिता के माथे का कलंक

पत्रकारिता के माथे का कलंक
आईबीएन समूह के सर्वेसर्वा राजदीप सरदेसाई अगर ब्रिटेन या अन्य यूरोपीय देशों में होते तो निश्चित मानिए कि उनकी जगह जेल होती और उनके न्यूज चैनल आईबीएन पर ताला जड़ गया होता। सामाजिक जलालत अलग से झेंलनी पड़ती। कानूनों की घेरेबंदी में इनकी ईमानदारी के पचखडे उड़ गये होते। इनकी पेज थ्री संस्कृति जमींदोज हो जाती। सड़कों पर चलने के दौरान इनके उपर अंडे-टमाटरों की बरसात होती। इनकी ज्ञात और अज्ञात संपति भी अपराध की श्रेणी में खड़ी होती। लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हुआ है जिसका मतलब है कि अनैतिक, पतनशील और भ्रष्ट सत्ता वाली व्यवस्था के अंतर्गत ही राजदीप सरदेसाई जैसी संस्कृति जन्म ले सकती है और फल-फूल सकती है।

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