फ्रांस में जी- 20 की बैठक के दौरान देश में बढ़ती महंगाई पर प्रधानमंत्री के गैर ज़रूरी बयान पर बुध्दिजीवियों की चुप्पी समझ से परे है. फ्रांस में जाकर पीएम को ये कहने की क्या ज़रुरत आन पड़ी थी कि वो आम जनता को बाज़ार के भरोसे छोड़ने का मन बना चुके हैं. क्या हमारे अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री इस बहाने पूंजीवादी देशों को ये संकेत दे रहे थे कि...... चाहे हमारे उद्योग धंधे नष्ट हो जाएं, देश में महंगाई अपने चरम पर पहुँच जाए तो भी हम पूंजीवाद की तरफ बढ़ते हमारे कदमों को नहीं रोकेंगे. क्या ये बयान विदेशी कंपनियों को इस बात का आश्वासन समझा जाए कि भारत में हर स्थिति में उनके हितों का संरक्षण किया जाएगा. और देश में बढ़ती महंगाई के बावजूद उनके लिए भारत के विशाल बाज़ार का दोहन करने के तमाम रास्ते मौजूद हैं. क्योंकि सरकार ने तो देश की जनता को बाज़ार के भरोसे छोड़ दिया है.